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वार्ता:ब्राह्मी लिपि

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प्राचीन नाम धम्म लिपि[संपादित करें]

धम्म लिपि का नाम ब्राह्मी लिपि कहना आधुनिक विद्वानों और पुरातत्वविदों द्वारा शुरू किया गया था। इसका नामकरण संस्कृत भाषा के 'ब्राह्मी' शब्द से हुआ है, जो 'ब्राह्मण' से संबंधित है।

ब्राह्मी लिपि प्राचीन भारत की एक प्रमुख लिपि थी जिसका उपयोग सम्राट अशोक के शिलालेखों और अन्य शिलालेखों में किया गया था। 19वीं सदी में यूरोपीय विद्वानों, विशेष रूप से जेम्स प्रिंसेप, ने इस लिपि का अध्ययन और समझना शुरू किया।

जेम्स प्रिंसेप ने 1837 में पहली बार अशोक के शिलालेखों को सफलतापूर्वक पढ़ा और समझा। उन्होंने इसे 'धम्म लिपि' के रूप में पहचाना क्योंकि इसमें बौद्ध धर्म (धम्म) के संबंधित कई शिलालेख थे।

ब्राह्मी लिपि का नाम 'ब्राह्मी' इसलिए रखा गया क्योंकि इसे ब्राह्मणों और विद्वानों की लिपि माना जाता था। इसके ऐतिहासिक महत्व और व्यापक उपयोग के कारण इसे यह नाम दिया गया।

संक्षेप में, 'धम्म लिपि' का नाम 'ब्राह्मी लिपि' आधुनिक विद्वानों द्वारा इसे ब्राह्मणों की प्राचीन लिपि मानते हुए दिया गया। 103.127.227.90 (वार्ता) 10:08, 23 जून 2024 (UTC)उत्तर दें